My writings can be read here मेरे लेख मेरे विचार, Awarded By ABP News As best Blogger Award-2014 एबीपी न्‍यूज द्वारा हिंदी दिवस पर पर श्रेष्‍ठ ब्‍लाॅग के पुरस्‍कार से सम्‍मानित

रविवार, 11 अक्तूबर 2015

Bisahada establish example for t India

·

बिसाहडा ने दिया संदेश दुनिया को बता दो


बिसाहड़ा निवासी हकीमू की दो बेटियों रेशमा और जैतून की बारात आ चुकी हैं। बारात पड़ोसी गांव प्यावली और दूसरी सादुदल्ला पुर से आई है। रेशमा की शादी प्यावली गांव के रहने वाले मोबिन से मुकर्रर हुई है, जबकि जैतून की शादी सदल्लापुर के युवक नाजिम से तय हुई है।
जिस समय सारे टीवी चैनल भारत की कानपुर में दक्षणि अफ्रीका के हाथों हार पर मातम मना रहे थे, ठीक उसी समय दादरी का वह बिसाहडा गांव, जाे अभी एक सप्‍ताह पहले तक दुनिया में भारत के लिए शर्म का कारण बना था, उसने जता दिया कि असली भारत अपसी सौहार्द , समन्‍वय और स्‍नेह का हैा गांव के ही दिवंगत इखलाक के पडोसी मुहम्‍म्‍द हकीम की दो बेटियों का निकाह पूरे गांव ने मिल जुल कर कियाा
गांव में तनाव को देखकर दुल्हों के घर वालों ने बिसाहड़ा में बारात लाने से इंकार कर दिया था। तीनों और के लोगों ने बैठकर तय किया कि दादरी के किसी मैरिज होम में शादी कर ली जाएगी। जब यह बात गांव में पहुंची तो गांव के बुजुर्ग सहमत नहीं हुए। बुजुर्गों ने बीते शुक्रवार को पंचायत की। फैसला दिया कि बेटी हकीमू की नहीं हैं, बिसाहड़ा गांव की हैं। अगर शादी दादरी में हुई तो गांव के माथे पर एक और कलंक लग जाएगा। गांव से ही बेटियों की डोली उठेंगी।
और आज ऐसा हुआ भी पूरे गांव ने बारात का स्‍वागत किया, बारात को सरकारी स्‍कूल में ठहराया गया, हिंदुओं ने तीन हजार लोगों के लिए शाकाहारी खाना बनवाया और बारातियों के साथ साथ सभी ने खाना साथ खाया, प्रशासन और पुलिस के साथ साथ गांव के लगभग हर घर ने बच्चियों को भेंट दी, इस शादी पर आया खर्च और स्‍वागत सत्‍कार पूरी तरह गांव के हिंदुओं ने ही कियाा
गावं के लोग बधाई के पाञ हैं कि उनके कारण हम दुनिया को बता पा रहे हैं कि इखलाक वाला दुखद, शर्मनाक हादसा हो गया, लेकिन हम उससे उबरना भी जानते हैा सच में लगा कि प्रमेचंद की कहानी के ''अलगू चौधरी व शेख जुम्‍मन'' का गांव है बिसाहडा
यही नहीं आज पूरे गांव के हिंदुओं ने चंदा कर गांव में ही मस्जिद बनाने का भी एलान कर दियाा
हां, ऐसा नहीं है कि शैतान किस्‍म के लेाग अभी भी चुप बैठे हैं, वे ''कथित निर्दोश'' लेागों को फंसाने के आरोप में एक जाति वि शेष की पंचायत, आसपास के गांव वलों को जोडने की कवायद भी कर रहे हैं , यदि ऐसे लेाग फिर जमा होते हें तो यह प्रशासन की असफलता होगी, गांव के लोगों ने तो अपना काम कर दिया हैा
मैंने कभी नहीं कहा कि मेरी किसी पोस्‍ट को साझा करें, लेकिन मैं चाहूंगा कि इसे अंग्रेजी, उर्द व अन्‍य भाषाओं में अनुवाद भी करें व साझा करें ताकि दुनिया जान लें कि असलील बिसाहडा कैसेा है
सलाम बिसाहडा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Have to get into the habit of holding water

  पानी को पकडने की आदत डालना होगी पंकज चतुर्वेदी इस बार भी अनुमान है कि मानसून की कृपा देश   पर बनी रहेगी , ऐसा बीते दो साल भी हुआ उसके ...